उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास का एक छोटा सा
कस्बाई गाँव"छिबरामऊ"।यहाँ रहता एक परिवार।पिता प्राईमरी के शिक्षक और
उनके हैँ तीन बेटे-आमिर खान,हामिद खान,नासिर खान।अब आईए एक सुखद शानदार प्रेरणादायी
समाचार पर।कल जब उत्तर प्रदेश लोक सेवा संघ के द्वारा 2015 का
अंतिम परिणाम घोषित हुआ तो न जाने कई बुझे चिरागोँ मेँ लौ लौट आई,कई
लौ से ज्वाला बने पर एक ऐसा परिवार भी इस परिणाम से सामने आया जो मिशाल की मशाल बन
के निकला है।जी हाँ कल आये परिणाम मेँ इन तीनोँ के तीनोँ भाईयोँ ने PCS मेँ
सफलता प्राप्त की।एक तरफ जब सच्चर समिति की सिफारिशेँ अपने सच मेँ लागु होने के
लिए इंतजार मेँ है,एक वर्ग जब मुसलमानी समाज के पिछड़ेपन को अपने
राजनीति का सुरक्षित कच्चा माल बनाये रखने को तत्पर है और एक वर्ग जब अफजल गुरू
मेँ पीढ़ी का नायक देखता है ऐसे मेँ इस परिवार ने बताया है कि सफलता किसी सिफारिश
और किसी विचारधार के रंग से नहीँ लगन,मेहनत और ईमान के रंग से निखर निकलती है।कहाँ
है सोशल मीडिया की खोजी नजर,जहर फैलाने वाले हजार समाचार हैँ पर मुह्ब्बत
की एक लाईन भी नदारद है।दादरी,मालदा पर सौ गढ़े अनगढ़े सूत्र हैँ पर
"छिबरामऊ" नही आ पाता सोशल मीडिया के मुख्य धारा मेँ।तोड़ने वाले सैकड़ोँ
वीडियो का जुगाड़ है पर जोड़ने वाली एक भी कहानी खोजे नही मिलती। साब दिन भर मकबुल
भट्ट और अफजल गुरू के नायकत्व को अपने तर्कोँ से मजबुत करने की मुहिम की जगह ऐसे
युवकोँ की कहानियाँ,उनके संघर्ष और सफलता का पर्चा बाँटिये लोगोँ
मेँ तो एक सुंदर समाज रच पायेँ शायद।घर घर अफजल पैदा करने के जज्बात को मारिये और
घर घर नासिर,आमिर,हामिद पैदा करिये..ये देश अफजल से नहीँ नासिर
और हामिद से बना है और बनता रहेगा।जय अच्छा अगर नासिर,आमिर हामिद बनना है तो यहाँ देखिये जय हो।
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