कभी "वुडलैँड" के शोरूम मेँ गये हैँ न आप? पक्का गये ही होगेँ बस पता नही हमरे जैसा महसुस हुआ कि नहीँ कभी।अजबे रंगो दुनिया है इस WOODLAND वालोँ की। अंदर घुसते आपको लगेगा ही नहीँ की जुता चप्पल का दुकान है,आपको लगेगा जैसे किसी देश के गुप्त सैनिक अड्डे पर बंकर मेँ पहुँच गये होँ। खाकी और धुसर रंग से लीपे हुए विशाल जुते चप्पल देख लगेगा जैसे द्वितीय विश्व युद्ध मेँ बटोरे गये सैनिकोँ के बचे जुते की सेना द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई हो। अंदर दिवार से लेकर पीली लाईट भी ऐसी कि लगेगा तहखाने मेँ बना कोई फौजी शस्त्रागार हो।छोटे से छोटे साईज का जूता भी नैनो कार से बड़ा दिखता है।कोई कोई तो खड़े टैँक की तरह दिखता कोई आईएनएस अरिहंत पनडुब्बी टाईप।ओह बस वही पीलहा धुसर और खाकी कलर का जुता चप्पल और विशाल साईज साथ ही टायर जैसा मजबुत नीचे का सोल,मतलब गारंटी कहता हुँ कि तेरहवीँ सदी मेँ मोरक्को से भारत तक की यात्रा इब्नबतुता ने भी यही जुते पहन के किये होँगेँ।कुछ जुते इतने विशाल और भव्य होते हैँ कि 6 मास के बच्चे को उसमेँ सुला कर फीता बाँध दीजिए तो एक भी मच्छर नहीँ काटेगा और बच्चे को महसुस होगा के चमड़े का पालना ले आये हैँ पापा।अपने डिजाइन मेँ ये जूते लगेँगे ही नही कि साधारण उपयोग यानि चलने टहलने के लिए बनाये गये हैँ,सब के सब लगेँगेँ जैसे अग्निरोधक,वायुरोधक,जलरोधक और बम प्रुफ जुते होँ।कुछ तो ऐसे होते हैँ कि उसमेँ भुट्टा रख के 5 मिनट छोड़ दीजिए पक जायेगा।अच्छा बाकि कंपनी का जूता आप हाथ से उठा के पहनते हैँ पर इसके मामले मेँ रखे हुए जूते मेँ आपको खुद जाकर घुसना होता है।अच्छा शोरुम मेँ काम करने वाले स्टाफ भी एकदम फौजी कट बाल कटाये होते हैअ और अक्सर मेजर की तरह व्यवहार करते मिलेँगेँ।एकदम अनुशासित,आपकी बात पर कोई ध्यान नहीँ,तीन बार कहिये तो कोई एक बार सुनेगा,एक कदम बढ़ेगा फिर आपके द्वारा दुसरा जूता उठाते ही वो पुनः पीछे हट जायेगा,दाम पुछने पर बोलेगा लिखा हुआ है पढ़ लो।मालुम यहाँ दिल्ली मेँ अक्सर देखता हुँ के बिहार युपी से आये विद्यार्थीयोँ मेँ वुडलैँड के जूते चप्पल और जैकेट के प्रति खुब आकर्षण होता है। असल मेँ ये जूता आदमी व्यक्तित्व को भारी भरकम बनाता है,मसलन आप भले वजन मेँ 46 किलो के हैँ पर वुडलैंड का जूता पहनते ही आप 56 किलो के हो जायेँगेँ,उसमेँ अगर वुडलैँड का जैकेट डाल लिया तो फिर 72 से नीचे क्या कहना गुरु।दुसरी बात कि मँहगा होने के कारण एक तो ये स्टेटस सिँबल वाला भ्रामक आनंद देता ही है साथ साथ इसकी विशालता और ट्रक जैसी मजबुती 20 -25 साल तक नहीँ फटने देने का मानसिक शांति भी,और ये सुकुन भी के चलिये एक बार पैसा लगा दिया अब तीन पीढ़ी झाड़ के पहनेगी।मेरे पहचान का एक साढ़े चार फीट का लड़का ऐसे ही वुडलैँड का जूता खरीद लाया था,कीमत वाली पर्ची हमेशा जेब मेँ रखता था।जूता पहनने पर ऐसा दिखता था जैसे बड़े गमले मेँ तुलसी का पौधा खड़ा हो।वही लड़का अभी हाल ही मेँ मिला था,मैँने पढ़ाई के बारे मेँ पुछा तो बता रहा था के आजकल स्वास्थ्य पर ध्यान दे रहा है,क्योँकि जूता भारी होने की वजह से पाँव उठाने मेँ दिक्कत होती है:-)। मैँने कहा डट के खाओ क्योँकि इतना मजबुत जूता लिये हो,अभी तो बीस साल तक इसके साथ चलना है।देखता हुँ अक्सर शादी विवाह मेँ लड़की वाले के तरफ से वुडलैँड का जूता ही लड़के को उपहार स्वरूप दिया जाता है,ताकि इसी बहाने लड़की के पास एक यादगार टिकाऊ हथियार तो रहे जरूरत पड़ने पर:-) इसके अलावा भी ये बहुपयोगी है।घर मेँ तेलचट्टा से लेकर कनगोजर मारना हो बस एक जूता चला दीजिए।दिवाल मेँ काँटी ठोकना हो और हथौड़ी ना हो तो जूता उठाईये और एक बार मारिये काँटी डेढ़ फीट अंदर जानिये।कभी दरवाजे का हुड़का खराब हो तो जूता रख के टिका दीजिए,क्या मजाल जो हवा आँधी मेँ भी दरवाजा खुले।खुली छत पर तिलौरी बड़ी या चिप्स सुखने दिये हैँ तो कपड़े के दो कोने पर जूता रख दीजिये वुडलैँड वाला,तुफान मेँ भी चिप्स वाला कपड़ा नहीँ उड़ेगा।कभी पड़ोस से झगड़ा हो गया तो बस एक जूता जोर से चला दीजिए,बिना किसी सबुत आदमी बेहोश।घर मेँ सुखी मिर्च,हल्दी,जीरा पीसना हो तो एक पेपर पर मिर्च,धनिया या जीरा या हल्दी रख उस पेपर को मोड़ ऊपर से दस बीस जुता जोर से मार दबा के रगड़ दीजिए,आपका मसाला तैयार।दरवाजे पर कंकड़ वाली लाल बजरी वाली मिट्टी गिराई है और उसे बिठाना हो तो दो बापूत जुता पहन आधा घंटा कुदिये मिट्टी बैठ जायेगी।बड़ा बहुपयोगी है चचा ई कुल मिला के।मालुम इधर हाल के वर्षोँ मेँ अपने शोरूम मेँ वुडलैँड वालोँ ने दो चार पीस रंग बिरँगे लाल पीले हरे टी शर्ट वगैरह रखने शुरू किये हैँ,ऐसा शायद वहाँ दिन भर काम करने वाले स्टाफ की माँग पर किया है जिन्होँने शोरूम दुकान के नाम पर सैन्य अड्डा टाईप यातना के विरूद्ध आत्मदाह कर लेने की धमकी दी थी:-)।कुल मिला के चचा एक बार आप वुडलैँड का जूता मौजा टोपी जैकेट पहन निकल जाईये सड़क पर, एकदम युनानी देवता "अपोलो" लगियेगा:-)। जय हो।Come and see a village from my eyes and you will feel no difference between your village and my village or any other Indian village.
Monday, June 9, 2014
वुडलैंड
कभी "वुडलैँड" के शोरूम मेँ गये हैँ न आप? पक्का गये ही होगेँ बस पता नही हमरे जैसा महसुस हुआ कि नहीँ कभी।अजबे रंगो दुनिया है इस WOODLAND वालोँ की। अंदर घुसते आपको लगेगा ही नहीँ की जुता चप्पल का दुकान है,आपको लगेगा जैसे किसी देश के गुप्त सैनिक अड्डे पर बंकर मेँ पहुँच गये होँ। खाकी और धुसर रंग से लीपे हुए विशाल जुते चप्पल देख लगेगा जैसे द्वितीय विश्व युद्ध मेँ बटोरे गये सैनिकोँ के बचे जुते की सेना द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई हो। अंदर दिवार से लेकर पीली लाईट भी ऐसी कि लगेगा तहखाने मेँ बना कोई फौजी शस्त्रागार हो।छोटे से छोटे साईज का जूता भी नैनो कार से बड़ा दिखता है।कोई कोई तो खड़े टैँक की तरह दिखता कोई आईएनएस अरिहंत पनडुब्बी टाईप।ओह बस वही पीलहा धुसर और खाकी कलर का जुता चप्पल और विशाल साईज साथ ही टायर जैसा मजबुत नीचे का सोल,मतलब गारंटी कहता हुँ कि तेरहवीँ सदी मेँ मोरक्को से भारत तक की यात्रा इब्नबतुता ने भी यही जुते पहन के किये होँगेँ।कुछ जुते इतने विशाल और भव्य होते हैँ कि 6 मास के बच्चे को उसमेँ सुला कर फीता बाँध दीजिए तो एक भी मच्छर नहीँ काटेगा और बच्चे को महसुस होगा के चमड़े का पालना ले आये हैँ पापा।अपने डिजाइन मेँ ये जूते लगेँगे ही नही कि साधारण उपयोग यानि चलने टहलने के लिए बनाये गये हैँ,सब के सब लगेँगेँ जैसे अग्निरोधक,वायुरोधक,जलरोधक और बम प्रुफ जुते होँ।कुछ तो ऐसे होते हैँ कि उसमेँ भुट्टा रख के 5 मिनट छोड़ दीजिए पक जायेगा।अच्छा बाकि कंपनी का जूता आप हाथ से उठा के पहनते हैँ पर इसके मामले मेँ रखे हुए जूते मेँ आपको खुद जाकर घुसना होता है।अच्छा शोरुम मेँ काम करने वाले स्टाफ भी एकदम फौजी कट बाल कटाये होते हैअ और अक्सर मेजर की तरह व्यवहार करते मिलेँगेँ।एकदम अनुशासित,आपकी बात पर कोई ध्यान नहीँ,तीन बार कहिये तो कोई एक बार सुनेगा,एक कदम बढ़ेगा फिर आपके द्वारा दुसरा जूता उठाते ही वो पुनः पीछे हट जायेगा,दाम पुछने पर बोलेगा लिखा हुआ है पढ़ लो।मालुम यहाँ दिल्ली मेँ अक्सर देखता हुँ के बिहार युपी से आये विद्यार्थीयोँ मेँ वुडलैँड के जूते चप्पल और जैकेट के प्रति खुब आकर्षण होता है। असल मेँ ये जूता आदमी व्यक्तित्व को भारी भरकम बनाता है,मसलन आप भले वजन मेँ 46 किलो के हैँ पर वुडलैंड का जूता पहनते ही आप 56 किलो के हो जायेँगेँ,उसमेँ अगर वुडलैँड का जैकेट डाल लिया तो फिर 72 से नीचे क्या कहना गुरु।दुसरी बात कि मँहगा होने के कारण एक तो ये स्टेटस सिँबल वाला भ्रामक आनंद देता ही है साथ साथ इसकी विशालता और ट्रक जैसी मजबुती 20 -25 साल तक नहीँ फटने देने का मानसिक शांति भी,और ये सुकुन भी के चलिये एक बार पैसा लगा दिया अब तीन पीढ़ी झाड़ के पहनेगी।मेरे पहचान का एक साढ़े चार फीट का लड़का ऐसे ही वुडलैँड का जूता खरीद लाया था,कीमत वाली पर्ची हमेशा जेब मेँ रखता था।जूता पहनने पर ऐसा दिखता था जैसे बड़े गमले मेँ तुलसी का पौधा खड़ा हो।वही लड़का अभी हाल ही मेँ मिला था,मैँने पढ़ाई के बारे मेँ पुछा तो बता रहा था के आजकल स्वास्थ्य पर ध्यान दे रहा है,क्योँकि जूता भारी होने की वजह से पाँव उठाने मेँ दिक्कत होती है:-)। मैँने कहा डट के खाओ क्योँकि इतना मजबुत जूता लिये हो,अभी तो बीस साल तक इसके साथ चलना है।देखता हुँ अक्सर शादी विवाह मेँ लड़की वाले के तरफ से वुडलैँड का जूता ही लड़के को उपहार स्वरूप दिया जाता है,ताकि इसी बहाने लड़की के पास एक यादगार टिकाऊ हथियार तो रहे जरूरत पड़ने पर:-) इसके अलावा भी ये बहुपयोगी है।घर मेँ तेलचट्टा से लेकर कनगोजर मारना हो बस एक जूता चला दीजिए।दिवाल मेँ काँटी ठोकना हो और हथौड़ी ना हो तो जूता उठाईये और एक बार मारिये काँटी डेढ़ फीट अंदर जानिये।कभी दरवाजे का हुड़का खराब हो तो जूता रख के टिका दीजिए,क्या मजाल जो हवा आँधी मेँ भी दरवाजा खुले।खुली छत पर तिलौरी बड़ी या चिप्स सुखने दिये हैँ तो कपड़े के दो कोने पर जूता रख दीजिये वुडलैँड वाला,तुफान मेँ भी चिप्स वाला कपड़ा नहीँ उड़ेगा।कभी पड़ोस से झगड़ा हो गया तो बस एक जूता जोर से चला दीजिए,बिना किसी सबुत आदमी बेहोश।घर मेँ सुखी मिर्च,हल्दी,जीरा पीसना हो तो एक पेपर पर मिर्च,धनिया या जीरा या हल्दी रख उस पेपर को मोड़ ऊपर से दस बीस जुता जोर से मार दबा के रगड़ दीजिए,आपका मसाला तैयार।दरवाजे पर कंकड़ वाली लाल बजरी वाली मिट्टी गिराई है और उसे बिठाना हो तो दो बापूत जुता पहन आधा घंटा कुदिये मिट्टी बैठ जायेगी।बड़ा बहुपयोगी है चचा ई कुल मिला के।मालुम इधर हाल के वर्षोँ मेँ अपने शोरूम मेँ वुडलैँड वालोँ ने दो चार पीस रंग बिरँगे लाल पीले हरे टी शर्ट वगैरह रखने शुरू किये हैँ,ऐसा शायद वहाँ दिन भर काम करने वाले स्टाफ की माँग पर किया है जिन्होँने शोरूम दुकान के नाम पर सैन्य अड्डा टाईप यातना के विरूद्ध आत्मदाह कर लेने की धमकी दी थी:-)।कुल मिला के चचा एक बार आप वुडलैँड का जूता मौजा टोपी जैकेट पहन निकल जाईये सड़क पर, एकदम युनानी देवता "अपोलो" लगियेगा:-)। जय हो।
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